आसान रास्ते कोई और चुने
उन पर कोई और चले।
मुझे चािहए वह रास्ता िजसमें
काँटें हों, कंकर और पत्थर हों
जो भयानक जँगलों से गुज़रे -
उस पार कोई ऐसा सूरज है
कोई ऐसी दुिनया है
जो िकसी ने नहीं देखी है।
शायद मैं मर जाऊँ,
घायल हो कर िगर जाऊँ।
तो क्या?
Saturday, April 28, 2007
आसान रास्ते
Posted by Himanshu at 5:49 AM
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